Śrī Dakṣiṇāmūrti:
vaṭaviṭapisamīpe bhūmibhāge niṣaṇṇaṃ
sakala munijanānāṃ jñānadātāramārāt |
tribhuvana gurumīśaṃ dakṣiṇāmūrti devaṃ
janana maraṇa dukhacchedadakṣaṃ namāmi ||
Śrī Dakṣiṇāmūrtiṃ Bhajare
[B3.1.1] Rāga : Toḍi, Tāl̤am : Triputa
Pallavi:
śrīdakṣiṇāmūrtiṃ bhajare mānasa
śrī dakṣiṇāmūrtiṃ bhajare |
Anu-Pallavi:
rakṣita jagatrayaṃ vaṭamūlavāsinam |
Charanam 1:
sanakādi yogijana saṃśaya bhedinam |
mauna vyākhyānena prakaṭita paratatvam ||
Charanam 2:
amita vibhavayuta sundara vigraham |
akhila jagadguraṃ subrahmaṇyavinutam ||
B3-01-01: Śrī Dakṣiṇāmūrtiṃ Bhajare (Guru Dhyāna)
Composed By: _Unknown in Sanskrit
End
गुरु ध्यान
श्री दक्षिणामूर्ति:
वटविटपिसमीपे भूमिभागे निषण्णं
सकल मुनिजनानां ज्ञानदातारमारात् |
त्रिभुवन गुरुमीशं दक्षिणामूर्ति देवं
जनन मरण दुखच्छेददक्षं नमामि ||
श्री दक्षिणामूर्तिं भजरे
[B3.1.1] राग : तोडि, ताळम् : त्रिपुत
प : श्रीदक्षिणामूर्तिं भजरे मानस
श्री दक्षिणामूर्तिं भजरे |
अनु: रक्षित जगत्रयं वटमूलवासिनम् |
च1: सनकादि योगिजन संशय भेदिनम् |
मौन व्याख्यानेन ्रकटित परतत्वम् ||
च2: अमित विभवयुत सुन्दर विग्रहम् |
अखिल जगद्गुरं सुब्रह्मण्यविनुतम् ||
श्री दक्षिणामूर्ति:
वटविटपिसमीपे भूमिभागे निषण्णं
सकल मुनिजनानां ज्ञानदातारमारात् |
त्रिभुवन गुरुमीशं दक्षिणामूर्ति देवं
जनन मरण दुखच्छेददक्षं नमामि ||
श्री दक्षिणामूर्तिं भजरे
[B3.1.1] राग : तोडि, ताळम् : त्रिपुत
प : श्रीदक्षिणामूर्तिं भजरे मानस
श्री दक्षिणामूर्तिं भजरे |
अनु: रक्षित जगत्रयं वटमूलवासिनम् |
च1: सनकादि योगिजन संशय भेदिनम् |
मौन व्याख्यानेन ्रकटित परतत्वम् ||
च2: अमित विभवयुत सुन्दर विग्रहम् |
अखिल जगद्गुरं सुब्रह्मण्यविनुतम् ||
End
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