Śrī Dakṣiṇamūrtiṃ Santataṃ Bhaje
[B3.1.3] Rāga: Śabhapantuvarāl̤i, Tāl̤am : Tripuṭa
(Or Behāg/ Rupakam)
Pallavi:
śrī dakṣiṇamūrtiṃ santataṃ bhaje |
Charanam 1:
varaṃ akṣiṇa kṛpā nidhim | rakṣitāmara bṛndam |
akṣahāra śobitaṃ mokṣamārga darśakam || (śrī)
Charanam 2:
vaṭataru mūlavāsaṃ jara śobhita ślīrśaṣam |
kaiṭabhādi sevitaṃ naṭana nṛtya lolupam || ( śrī)
Charanam 3:
sarvaloka guru varaṃ sarvasadguṇā kāram |
sarva kalā mandiraṃ sarva maṅgal̤a pradam || (śrī)
Charanam 4:
bhava roga biṣaṇ varaṃ śiva sāyujya pradam |
bhava viṣṇu vidhi rūpaṃ dhaval̤a bhasma bhūṣitam || (śrī)
B3-01-03: Śrī Dakṣiṇamūrtiṃ Santataṃ Bhaje
Composed By: _Unknown in Sanskrit
End
श्री दक्षिणमूर्तिं सन्ततं भजे
[ID: B3.1.3] राग : शभपन्तुवराळि (ओर् बेहाग्), ताळम् : त्रिपुट (ओर् रुपकम्)
प : श्री दक्षिणमूर्तिं सन्ततं भजे |
च1: वरं अक्षिण कृपा निधिम् | रक्षितामर बृन्दम् |
अक्षहार शोबितं मोक्षमार्ग दर्शकम् || (श्री)
च2: वटतरु मूलवासं जर शोभित श्लीर्शषम् |
कैटभादि सेवितं नटन नृत्य लोलुपम् || ( श्री)
च3: सर्वलोक गुरु वरं सर्वसद्गुणा कारम् |
सर्व कला मन्दिरं सर्व मङ्गळ प्रदम् || (श्री)
च4: भव रोग बिषण् वरं शिव सायुज्य प्रदम् |
भव विष्णु विधि रूपं धवळ भस्म भूषितम् || (श्री)
[ID: B3.1.3] राग : शभपन्तुवराळि (ओर् बेहाग्), ताळम् : त्रिपुट (ओर् रुपकम्)
प : श्री दक्षिणमूर्तिं सन्ततं भजे |
च1: वरं अक्षिण कृपा निधिम् | रक्षितामर बृन्दम् |
अक्षहार शोबितं मोक्षमार्ग दर्शकम् || (श्री)
च2: वटतरु मूलवासं जर शोभित श्लीर्शषम् |
कैटभादि सेवितं नटन नृत्य लोलुपम् || ( श्री)
च3: सर्वलोक गुरु वरं सर्वसद्गुणा कारम् |
सर्व कला मन्दिरं सर्व मङ्गळ प्रदम् || (श्री)
च4: भव रोग बिषण् वरं शिव सायुज्य प्रदम् |
भव विष्णु विधि रूपं धवळ भस्म भूषितम् || (श्री)
End
Get in Touch
Audio Recording will be loaded soon. If you like to take part in regular Sampradya Bhajan or host an event, get in touch with us